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Varsha Sharma

Abstract

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Varsha Sharma

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ना चाकू की धार

ना चाकू की धार

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ना चाकू की धार ,ना चले कोई औजार

विश्व मे लड़की की भ्रूणहत्या ना हो

वह भी तो जन्म ले,लड़कियों का भी जन्म हो

हां उनका भी जन्म हो 

मन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा

वह तो प्रेम की मूरत है प्रेम की मूरत है

क्यों मांगना पड़ता है उनको हक अपना बार बार.

 ना चाकू की धार. .. 


 सारी दुनिया हरजाई मांगे हरदम हो भाई 

मिटाना चाहता था जमाना 

मां मुझको ले आई मुझे सिखाया उस ने कभी ना पीछे रहना

 मुझे धरती पर लाने के लिए दुनिया से पड़ा लड़ना


ना चाकू की धार ना चले कोई औजार, .. 

इस धरती पर जुल्म होना जहाँ माँ के रूप में पूजा होती

हमेशा कमतर माना जबकि औरत कम नही होती

अब मिले समानता का हक औरत को बार-बार

 गाना-ना कजरे की धार

फिल्म मोहरा


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