STORYMIRROR

Varsha Sharma

Inspirational

4  

Varsha Sharma

Inspirational

ऊंचा बढ़ने के सपनों को

ऊंचा बढ़ने के सपनों को

1 min
171

ऊंचा बढ़ने के सपनों को मैंने देखा जो मन बावरे

तुम दूर नजर आए बड़ी दूर नजर आए

हिम्मत करके आगे बढ़ी हूं सोचने अंखियों में तुम मुस्काए

एक सपना था मेरे मन में अब टूटने लगा था


पागल थी मैं हाय नारी है कमजोर सोचने लगी थी 

मन को सुदृढ़ करके अब उड़ान भरने लगी हूं

कहीं उम्र ना गुजर जाए सपनों को सोच के

ऊंचा बढ़ने के सपनों को मन देखा जो बावरे. . 

जीती हूं अब सपनों को

मरती हूं सपनों पर


उड़ान हो अब पूरी सपने पूरे हो अब

सारी दिन रात दुआ मांगे स्वप्न पूरा होने के 

ऊंचा उड़ने के सपनों को मैंने देखा जो मन बावरे

कहीं मेरा मन उम्मीद से ना डगमगाए


मैं जब से अपनी आशाओं को चाहने लगी हूं 

जगते हुए सोती हूं सोते हुए जगती हूं

मेरी आशा से भरे सपने अब कोई ना छीने 

मन सोच के सुदृढ़ हो जाए

 और सुदृढ़ हो जाए


ऊंचा बढ़ने के सपनों के

मैंने देखा जो मन बावरे

गाना अंखियों के झरोखों से

फिल्म अंखियों के झरोखों से राजश्री


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational