Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

"अवकाश पर फिर से रोक"

"अवकाश पर फिर से रोक"

1 min
496


अवकाश पर लग गई है,फिर से रोक

शिक्षक बन गया है,एक टूटी हुई नोक

पहले गर्मी छुट्टियां का हुआ था,शोक

अब मध्यावधि अवकाश हुआ है,लोक


यह कैसी निःस्वार्थ सेवा सजा मिली

शिक्षक रोये सुबक-सुबक हर रोज 

मानाकि शिक्षक राज का गुलाम है

पर क्या उसे न परिवार का काम है?


लगता सबको शिक्षक उड़ाता है,मौज

अवकाश पर फिर से लग गई है,रोक

स्माइल,वर्कबुक्स,Nas का हो श्लोक

शिक्षक जी-जान से जुटा है,हर रोज


फिर भी राज सोचती शिक्षक है,चोर

इसलिये लगाती है,अवकाश पर रोक

जानते कोरोना में बच्चे हुए है,डरपोक

पर शिक्षक है,दरिया की ऐसी मोज


सूखे को हरा करने की रखती है,सोच

शिक्षक नौसिखियों में डालता वो ओज

ताकि वो भी उड़े उन्मुक्त गगन की ओर

बच्चो को कक्षास्तर लाने कर रहा प्रयोग


इस कारण अधिकांश शिक्षक ले रहे है,

अतिरिक्त कक्षाओं का एक सुंदर शौक

ताकि बच्चे नही रह जाये अधूरी सोच

यूं छुट्टियों पर लगाने से तुगलकी रोक


न हो जायेगी कोई नवीन शैक्षिक खोज

उन्हें बता दू शिक्षक नही डरपोक कौम,

वो फ़िझुल न करती कोई नोकझोंक

हम सब शिक्षक है,बहादुरों की फौज


पर शिक्षक जानता है,मर्यादा का योग

इसलिये जो भी राज आदेश देती है,

उसको मान लेते है,हम सब बेख़ौफ़

क्योंकि शिक्षक है,वफादारी की जोत


पर राज से शिक्षक भी रखता है,होप

उसको छुट्टियों पर न लगे कोई रोक

शिक्षक है,भविष्य बनाने वाली चोक

शिक्षक तो अंधेरे पर लगाता है,रोक

दीपक बनकर फैलाता है,आलोक


दिल से विजय



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy