और कितना समझूं तुम्हें
और कितना समझूं तुम्हें
और कितना समझूं तुम्हें,
और कितना समझाऊं तुम्हें,
दिल टूटा है फरेब-ए-वफा से,
और कितना समझूं तुम्हें।
तेरे प्यार की शाख बना हूं,
हर गम की रात बना हूं,
फिर भी नहीं भूला हूं,
तेरी मांग का सिंदूर बना हूं।
तू मेरे जीवन का श्रंगार बनी,
तू मेरे सपनों का संसार बनी,
उल्फतों से आज मौत संजोये बैठा हूं,
तू मेरे प्यार का बीन लयताल बनी।