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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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और...आदमी घोड़ा बन जाता है

और...आदमी घोड़ा बन जाता है

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आज पता नहीं कि कौन गलत है,

और क्या पता कि कौन सही है !

कथनी कुछ है और कुछ करनी है,

आज का जमाना कुछ ऐसा ही है !


यह आधुनिक समय कहलाता है,

हर कोई अपना जीवन संवारता है !

जिंदगी के अलग-अलग हिस्सों में,

अलग - अलग किरदार निभाता है !


कभी इंसान घोड़े की सवारी करता है,

कभी इंसान खुद घोड़ा बन जाता है !

रोज़मर्रा की कई ज़िम्मेदारी निभाता है,

दोनों हाथों से सैकड़ों काम कर जाता है !


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