अटल बिहारी वाजपेई
अटल बिहारी वाजपेई
आज हुआ विकट प्रारब्ध ,
सब रूठ गये आज शब्द |
वो चितेरा भावनाओं का,
हुआ भावहीन निशब्द |
नभ पर छाया वह अटल
राज-नीति का वह पटल |
क्षितिज तक सघन चला,
दागहीन गया वो निकल |
शून्य छा गया व्योम पर,
हुई रिक्तता हर छोर पर |
श्रद्धा सुमन अर्पित करें,
मन अंतस में यूं पीर भर |
अटल हुई यही तो वेदना,
हो रही चहुं ओर संवेदना |
अटल आसमां में ध्रुवतारा,
युगों होगा अटल यश सारा |
तुम्हें हे ! युग-पुरुष नमन,
अरि विजेता तुम्हें नमन |
अटल थी वो काल गति,
वर्ना हम रोक लेते गमन |