कुछ अजीब से रिश्ते
कुछ अजीब से रिश्ते
पल नहीं जिसमें तू शामिल नहीं है |
जिन्दगी में नहीं है, पर उससे कम नहीं है ||
राह-ए-गर्दिश के अपने थे अन्दाज-ए-बयां |
जो सोच लूं तुझे, तो कोई गम ही नहीं है ||
बहती रहे नदिया सी, अविरल ये जिन्दगी |
रहे साहिल का साथ भी, कम तो नहीं है ||
तन्हा तो हम, तनहाइयों में भी नहीं रहते |
है यादों की महफिल कोई कम तो नहीं है ||
जाने कैसा है कब्जा, इस मासूम दिल पर |
खबर है तुझे, या अब भी खबर नहीं है ||
अहसासों के होते हैं, कुछ अजीब से रिस्ते;
मानो तो सब कुछ, वर्ना कुछ भी नहीं है ||
