अश्रु की धार
अश्रु की धार
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ये अश्रु की धार नहीं
पीड़ा है मेरे अंतः की
इस पीड़ा को बह जाने दो
कुछ प्रश्न तुम्हारे अंतर में
उत्तर ना मैं दे पाऊं तो
उन प्रश्नों को रह जाने दो
नीरवता के कोलाहल में
कुछ शब्द मेरे हैं दबे हुए
उन शब्दों को कह जाने दो
स्वप्नभवन की दीवारें
कल्पित आशाओं से निर्मित
उन सपनों को ढह जाने दो
थक गई हूं कर प्रतिकार कई
अपने अस्तित्व की खातिर मैं
कुछ पीड़ाएं सह जाने दो।