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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

अरमानों का कफ़न

अरमानों का कफ़न

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प्यार की गगरी भर के आई थी,

नफ़रत की आंधी चला गई।

दिल में भरे हुए अरमानों को,

होली मनाकर जला गई।

बरसो से बाट देखता था तेरी,

तू आ कर प्यार बहायेगी,

क्या कसूर था मेरा जानेमन,

मुंह मोड़कर तू चली गई।

प्रेम मंदिर बनाया था मैंने,

ख्वाबों मिटाकर कर चली गई।

क्या हो गया तुझे सनम की।

तनहाइयां देकर चली गई।

प्यार की आग में जल रहा था,

गम की गहराई में डूबा गई,

मेरे सच्चे प्यार का "मुरली" 

कफ़न बनाकर चली गई।



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