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Navneet Gupta

Horror Tragedy Thriller

4  

Navneet Gupta

Horror Tragedy Thriller

अरिकोम्बन

अरिकोम्बन

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तुम को सम्भालना पडाबिगड़ जो गये थे

बच्चों की तरह कूमल 

डालने लगे थे

घरों में चावल खाने को

आये दिन .. तुम्हें चस्का जो लग गया


और उद्दंड होने लगे

डाका डालने लगे

सरकारी राशन के चावल में भी

इंसानी हिस्सा चाहने लगे

… और तुम ने पाया नाम

इतनी उम्र में चावल वाला हाथी

अरि कोम्बन

मलयाली भाषा, 

चिन्नाकालन मलयाली गाँव


अब तुमने उद्दंडता फैलानी शुरू किया

आतंकवादी बन गये

बतियायें करने लगे

चावल का नशा, जो था

शराब से ज़्यादा 

…ए मेरे हाथी॥


देखो तुम्हारे चाहने वालों को

फिर भी कुछ तुम्हारे आतंक 

में मज़े ले रहे थे

जैसे अपने मानवीय जीवन में करते हैं॥

खैर

भारत है

जहां कोर्ट की दखल पर ही

कुछ काम होता है !


आखिरकर तुम्हें बन्दी बनाना पडा

नशा लगा कर॥

तुम्हारा इलाक़ा , घर सब बदल दिया

फिर भी काला पानी तो नही!

चन्नीकानल गाँव

उसके जंगल

शायद डर कर उम्मीद कर रहे हैं

आप वापिस आ जायेंगे

… फिर चावल खाने ?

या इंसानी हत्या ?

करने


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