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Jyoti Kajare

Tragedy

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Jyoti Kajare

Tragedy

अरे पत्थर...!!! तू तो भाग्यवान है

अरे पत्थर...!!! तू तो भाग्यवान है

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अरे पत्थर..! अरे वो पत्थर..!! तू तो भाग्यवान है..!!!

तुझे पहने को कपड़ा है,रहने को घर है, संरक्षण है...!

मुझे तो कुछ भी नहीं है...!

आज भी हम बिन घर के, बिन छत के, बिन कपड़ों के 

खुले मैदान में ठंड से कापते हैं...!

अरे पत्थर...! तू तो बडा भाग्यवान है.!!

तुझे दही-दूध-घी से नहलाते हैं..!

और यहाँ मेरे बच्चे दो घूंट दूध के लिए तरसते हैं..!

तुझे खजूर खोपरा बदाम काजु का

सब कुछ बैठे हुए मिलता है..!

और भारत माँ के कुछ बच्चो को तो

एक बार भी खाना नसीब ना होता है..!

तुझे चढाये प्रसाद से तो बड़े...

बड़े हि होते जा रहे हैं..!

हम तो वहीं के वहीं डहरे हैं...!

अरे पत्थर...!! तू तो बडा भाग्यवान है..!!

इन्ही हाथो ने तुझे आकार देकर बनाया..

और तुझे सबसे बड़े स्थान पर बिठाया..

लेकिन हम तो...आज भी उसी खान में..

20 रु. रोजगार से काम करते हैं..!

और उसी में कल का भविष्य ढूंढते रहते हैं..!!!

अरे ...अरे वो पत्थर...!!! तू तो बड़ा ही भाग्यवान है...!!!



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