ख्वाब
ख्वाब
मैंने ताजमहल सा...
सुंदर सपना ही देखा था..!!
नाहीं वो ताजमहल माँगा..
ख्वाबो में तो मैंने...
चाँद को भी देखा था...!!
ना कि उसे भी माँगा...
बस छोटी सी तो...
ख्वाईश थी मेरी...
उँचाई पर उड़ने की..
इतनी भी ना बढी थी..!!
मुझ में तो बहुत दम था...!
लेकिन जिसका सहारा...
मैंने लिया था...!!
वो बाबू ही कम कुवत था..!!
कि मेरा आगे बढना ही मुश्किल था...!!!