अंधेरा
अंधेरा
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मेरा जीवन है एक अंधेरा...
रह गया ये कागज कोरा
किस्मत ने लुटा है मुझे यारा,
करके रखा रब ने मुझे बेसहारा...
कब तक सहेगा ये दिल बेचारा...
किस-किस का लगाऊँ जिंदगी में नारा...
कब होगा मेरा सुंदर सवेरा...
कैसे मिलेगा मुझे सहारा...
कहाँ है मेरे जीवन का उजाला...
चारों तरफ है सन्नाटा फैला ...
सच में ला दे मुझे जहर का प्याला...
कब बुझेगा मेरे जिंदगी का अंधेरा...!!!