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Jyoti Kajare

Others

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Jyoti Kajare

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**हम**

**हम**

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गुजरे थे कभी हम इस मुकाम से...

जो आज भी हम आह भरते हैं...!

दुनिया ने तो हमें दिया था नेवता...

मंजूर ना किया पर सोचना तो पडता..

हम मुसाफिर तो चले थे अपनी राह समजकर...

पर रोका जिंदगी ने हमारा दामन पकडकर...!

फिर हमने बहुत सोचा..और जिंदगी से पूछा..

क्या सचमुच दुनिया ने तुम्हें कुछ दिया है..??

यहाँ कोई किसी का होता नहीं है..

बस अपनी जिंदगी अपनी होती है...!

सब लोग तो स्वार्थी मिलेंगे...

पर निस्वार्थी कोई ना मिलेगा...!

कहते हैं हम एक प्यारा सा बंधन..,

परंतु करते हैं सब उसका उल्लंघन...!!

   


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