STORYMIRROR

Jyoti Kajare

Abstract

4  

Jyoti Kajare

Abstract

बहुत खुश हुँ

बहुत खुश हुँ

1 min
335

मिला नहीं कभी बाप का साया,

माँ के आँचल में हि बहुत प्यार पाया,

ओंठ तो हमेशा मुस्कूराते रहें

लेकिन दिल तो फुटफुटकर रोया।


मिला नहीं कभी भाई बहन का प्यार,

फिर भी खुशी से मनाया हर त्यौहार।

बचपन से लेकर आज तक

खुशी कभी मिली ही नहीं

फिर भी आज मैं बहुत खुश हूँ।


पल पल मर मर के जी रही हूँ

फिर भी आज मैं बहुत खुश हूँ।

गाडी नहीं हैं आज पैदल ही खुश हूँ

पुलाव नहीं बनाया आज

तो तिखी दाल में ही खुश हूँ

नहीं हैं बडा महल मेरा

झोपडी में ही बहुत खुश हूँ।


परेशानीयाँ तो बहोत हैं जिंदगीं में

हर हाल में खुश रहना सिख गई हूँ।

जिंदगीं से उम्मिदे लेकर ही गलती की

अब उम्मीदों के सहारे जिना हि छोड चुकी हूँ।


इसीलिये तो आज मैं बहुत खुश हूँ

ये जिंदगी आज मैं बहुत खुश हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract