अपनी पगड़ी
अपनी पगड़ी
हर कोई जीवन में चाहता है सम्मान
इसकी खातिर करने पड़ते हैं कितने काम
लोगों की खुशी की खातिर दिखावों पर न जाओ
जितनी हो हैसियत उतने ही पैर फैलाओ
वरना असलियत खुलते नहीं लगती देर
झूठी शान पाने से दूर ही रहना यार
अपनी पगड़ी होती है अपने ही हाथ।
