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Vandita Pandey

Drama

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Vandita Pandey

Drama

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

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उन्हीं से ये दुनिया हैं,

उन्हीं से ये जहान हैं,

टूटी पत्तियों- सी बिखरती,

फिर भी फूलों - सी महकती,

तो रंग बिरंगी चादर में,

वो एक खुला आसमान हैं।


कभी बेटी, तो कभी बहन, कभी दोस्त, 

तो कभी किसी की पत्नी बन जाती,

अनेकों किरदार में वो नजर आती,

आंखो में सौंदर्यता और दिल से ख़ूबसूरत है,

मां की ममता में छुपी वो असीम मूरत है।


औरत है तो हर घर में आराम हैं,

बिन उसके हर खुशियों पर पूर्ण विराम हैं।

उन्हीं से दुनियां तो उन्हीं से जहान हैं,

उन्हीं से हर घर की रौनक,

और उन्हीं से हर घर की आन हैं,


तीर से निकला ये शब्दों का आख़िरी कमान है,

इस हिंदुस्तान की वो आन है, शान हैं,

एक औरत से इस भारत का भी सम्मान हैं।


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