होली जब-जब आती हैं,
होली जब-जब आती हैं,
कहीं कई रंगों का मेल हैं,
तो कहीं पिचकारियों का खेल हैं,
कहीं परिवारों का साथ छुपा है,
तो कहीं गुजियों का स्वाद छुपा है,
त्यौहार बनकर कितना कुछ लाती हैं
किसी के घर उपहार बनकर जाती हैं,
ये होली जब भी आती हैं,
ये होली जब भी आती हैं।।
सफ़ेद रंग के लिवास में,
पूरे चांद की रात में,
होलिका दहन की आग में,
सारी मुश्किले जल जाती हैं,
ये होली जब भी आती हैं।
ये होली जब भी आती हैं।।
कुछ रहते रंगो से दूर हैं,
तो कुछ भांग के नशे में चूर हैं,
कुछ नगमों पर झूम रहे हैं,
तो कुछ हाथों में रंग ले घूम रहे हैं,
ढेरों रंगों से कुछ की,
बेरंग दुनियां भी रंग जाती हैं,
ये होली जब-जब आती हैं।
ये होली जब-जब आती हैं।।
बॉर्डर पर लड़ते कुछ वीर,
अपनी कौम की आन के खातिर,
खाते छाती पर वो तीर,
कुछ घर को आज भी लौट न पाते,
जो लाल लघु में रंग हैं जाते,
राष्ट्रीय ध्वज में जो लिपट कर आते,
रंग मोहब्ब्त का ले जाती है,
एक स्वेत औढ़नी दे जाती हैं,
एक होली ये भी आती हैं।
एक होली ये भी आती हैं।।
