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Vandita Pandey

Drama

5.0  

Vandita Pandey

Drama

रूठे रूठे से चेहरे

रूठे रूठे से चेहरे

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रूठेे–रूठे से कुछ चेहरे,

आज फिर मनाए जा रहे हैं।

शायद उलझेे-उलझे से कुछ रिश्ते,

आज फिर सुलझाए जा रहे हैं।


देख एक–दूसरे को जो मुँह मोड़ लेते,

आज फिर देख एक-दूसरे,

को देख मुस्कुराए जा रहेे हैं।

शायद उलझेे-उलझे से कुछ रिश्ते,

आज फिर सुलझाए जा रहे हैं।


जिनके गुलशन में ना खिले कभी गुल,

आज फिर उस गुलशन में,

गुल खिलाए जा रहे हैं,

शायद उलझेे-उलझे से कुछ रिश्ते,

आज फिर सुलझाए जा रहे हैं।


जिन्होंने वादा तोड़ दिया,

हर लम्हा साथ रहने का,

आज फिर हर लम्हा साथ,

रहने के वादे किए जा रहे हैं,

शायद उलझेे-उलझे से कुछ रिश्ते,

आज फिर सुलझाए जा रहे हैं।।


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