Antarman
Antarman
लिख-लिख के ज़मीं पर, हम तो रोज़ फोछते हैं
बात करें हम दिल की, किससे रोज़ सोचते हैं,
मिलने वाले रोज़ाना तो लाखों मिलतें हैं....
फिर दुनिया की भीड़ में, क्यों दोस्त खोजतें हैं।
लिख-लिख के ज़मीं पर, हम तो रोज़ फोछते हैं
बात करें हम दिल की, किससे रोज़ सोचते हैं,
मिलने वाले रोज़ाना तो लाखों मिलतें हैं....
फिर दुनिया की भीड़ में, क्यों दोस्त खोजतें हैं।