बस मैं ऐसी ही हूँ, बस यही मेरा किरदार है ! कुछ रोज़ाना, लिख जाती हूँ, अनायास ही ! बस मैं ऐसी ही हूँ, बस यही मेरा किरदार है ! कुछ रोज़ाना, लिख जाती हूँ, अनाय...
फिर दुनिया की भीड़ में, क्यों दोस्त खोजतें हैं। फिर दुनिया की भीड़ में, क्यों दोस्त खोजतें हैं।
दैनिक वेतन अर्जक हैं हम मजदूर हैं, नहीं दर्शक हैं हम दैनिक वेतन अर्जक हैं हम मजदूर हैं, नहीं दर्शक हैं हम
रविवार को छुट्टी होती थी जब भी भर लाती मैं वहां से जरूरी सामान। रविवार को छुट्टी होती थी जब भी भर लाती मैं वहां से जरूरी सामान।