अनसुना सा कुछ
अनसुना सा कुछ
उसकी आंखें जब कहने लगी मुझसे
मैं भी उसे समझने लगा ।
होंठों को छूआ था जब उसके
बारिश भी आसमान से होने लगी ।
आसमानों के सितारे
जगमगाने लगे हैं ।
मेरे दिल की धड़कने भी
आज कुछ अनसुना गाने लगी हैं।
यार तू तोड़ दे,
आज सारे बंधनों को ।
आ जा न मेरे दिल में
हो रही कुछ खलबली है ।
चल मिल के मचाएंगे
प्यार का विगुल अब , सारे ज़हान.. में ।
प्यार करता हूं
मैं तुमसे।
आज बता दूं
सारे ज़हान को ।

