प्रेम दर्द
प्रेम दर्द
चलती है कहां जीवनभर हर खुशी
उसे तो गम में परिवर्तित होना था ।
तेरे छोड़ कर चले जाने पर
मुझे एक न एक दिन रोना ही था ।
वो अलग सी बात अब रही नहीं तेरे दिल में,
मेरे लिए थोड़ा भी प्रेम अब बचा नहीं तेरे दिल में ।
और तुम अब कहती हो कि हमें साथ होना न था,
तो फिर हम कुछ इस तरह मिले ही क्यों थे ?
जो तुम न थी तो खुशी थी जिन्दगी में मेरे,
जो आज तुम न हो तो हर खुशी है तेरी ।
ये ग़म घेर रहें हैं मुझे ऐसे
जैसे कोई आसमान में बादल ।
मेरे दिल में तेरी यादें चुभ रही है ऐसे
जैसे गुलाब के कांटे ।
जिस गुलाब को दिया था मैंने
अपने सपनों से भरकर ।
वो छोड़ आई मेरे लिए
किसी बागीचे की टेबल पर ।
मैं अब भी इंतजार कर रहा हूं
तुम्हारा उसी टेबल पर ।।