STORYMIRROR

Ranjan Shaw

Others

4  

Ranjan Shaw

Others

"कलंकित"

"कलंकित"

1 min
574

क्या हुआ

कोई जानता ना था


जो हुआ 

उसे कोई मानता ना था 


लेकिन फिर भी लिखा गया

हर बार कलंकित किया गया


उसके चरित्र का परिहास बना

हर बार गिद्ध भोज किया गया


अब उसे दुत्कार कर

तुम अपना पलड़ा झाड़ते हो 


उसे अपवित्र और

स्वयं को पवित्र मानते हो 


तुम पूछते हो सवाल जब उससे

तो उसे हर बार लज्जित होना पड़ता है


समाज से बहिष्कृत होकर

उसे कलंकित होना पड़ता है


दोष उस रात की ना थी

ना ओयो की बात की थी 


तुम नशे में मदहोश थे

वह भी नशे में मदहोश थी


चांद की चांदनी में

दोनों ने जो मिलन किया 


उसका ही फल 

आज उसे कलंकित किया


क्या किसी का नया आगमन

कलंक होता है ?


यह प्रकृति के नियम का

यह अंक होता है ।



Rate this content
Log in