शहीद अपने घर आया था - रंजन साव
शहीद अपने घर आया था - रंजन साव
वह गांव बड़ा ही प्यारा था
उसमें एक बच्चा न्यारा था ।
वह खेल रहा था माटी में
वह बड़ा हुआ उस माटी में ।
सबने उसको समझाया था
माटी के सम्मान में लड़ना है ।
वह गांव के किसान का बेटा था
उसको तो यूं ही चलना है ।
पर वह माटी के सम्मान के लिए
खेत से सरहद पर जा पहुंचा ।
अपने माटी की रक्षा में
उसने अपना लहू बहा बैठा ।
उसका क्षत-विक्षत शव
गांव लेकर कोई आया था ।
आंखों के आंसूओं से
सबने उसके चरणों को भिगोया था ।
वह कफ़न में ओढ़
तिरंगा आया था ।
उसके शव को
उसके पिता के कंधों ने उठाया था।
वह मंजर याद रहेगा हर पर
जिस क्षण वह शहीद अपने घर आया था ।