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Ranjan Shaw

Others

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Ranjan Shaw

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“कब तक जीना है”

“कब तक जीना है”

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मौत हर पल कह रही है मुझसे

कब तक जीना है ?


इस जीवन में

कब तक अश्रुजल पीना है ।


जो सरल लग रही थी मुझे

वह कठिन में परिवर्तित हो गई है ।


अंतरात्मा अब

परिस्थितियों में खो गई है ।


मन मोम सा पिघल गया

और तन माटी की धूल में सन गई ।


तो दिल से आवाज़ आई

कब तक जीना है ?



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