“कब तक जीना है”
“कब तक जीना है”
1 min
237
मौत हर पल कह रही है मुझसे
कब तक जीना है ?
इस जीवन में
कब तक अश्रुजल पीना है ।
जो सरल लग रही थी मुझे
वह कठिन में परिवर्तित हो गई है ।
अंतरात्मा अब
परिस्थितियों में खो गई है ।
मन मोम सा पिघल गया
और तन माटी की धूल में सन गई ।
तो दिल से आवाज़ आई
कब तक जीना है ?
