STORYMIRROR

Ranjan Shaw

Inspirational

4  

Ranjan Shaw

Inspirational

” रंजन “

” रंजन “

1 min
342


वो कलम से अल्फाज़ लिखता है

कागज़ पर दिल के राज़ लिखता है ।


पढ़ उसे जो भी लेता है

वह भी दर्द ए बयां करता है ।


सिर्फ कलम और कागज़ तक

सीमित नहीं रहे अब उसके बोल ।


वह तो फैल गए हैं

इस दुनिया में चारों ओर ।


कवि, लेखक या शायर नहीं है वो

वह तो सिर्फ सुकुन के लिए लिखता है ।


वाह-वाही करने वाले बहुत मिले ‘रंजन’

लेकिन वह तो अकेला ही अब मस्तमौला है ।


वह अपनों पे खर्चा करता है

वह अपनों की चर्चा करता है ।


उसके कंधे हैं झुकें हुए

उसके सपने है रूकें हुए ।


वह अंदर से कितना टूटा है ।

सबने उसको बहुत लूटा है ।


उसने धैर्य अभी तक नहीं खोया है

उसने फिर सपनों को संजोया है ।


वह चलता है प्रगतिपथ पर

वह रूकता नहीं अब किसी व्यर्थ रथ पर ।


वह कहलाता निठल्ला है

पर मां-बाप का लल्ला है ।


कितने उसने ताने सुने हैं

कितने उसने आंसू गिने हैं ।


मगर हिसाब रखता है कौन

लोगों को दिखता है अब वह मौन ।


वह चलता रहता है अब प्रगतिपथ पर

गिरता और संभलता रहता है प्रगतिपथ पर ।


उसकी तलाश जारी है अब भी

उसका प्रयास जारी हैं अब भी ।


वह विजय रथ लिए निकला है

वह अपने प्रगतिपथ पर निकला है ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational