अनकही व्यथा
अनकही व्यथा
एक कहानी और एक गीत
चाहा था, सुनाऊँ तुम्हें
दिल का दर्द बताऊँ तुम्हें
पर समय कहाँ था
तुम्हारे पास !
मेरी कहानी, मेरे गीत के लिए,
अपने जीवन के इस मीत
के लिए,
पर, अब न जाने
मेरी कहानी, मेरे
गीत,
कहाँ भटक गए ?
मेरे दिल में, मेरे गले में,
न जाने क्यों अटक गए
न जाने कौन सुनेगा
मेरे इस दिल की व्यथा
मेरी अनकही कथा
न जाने कौन, कब, कहाँ
न जाने कौन ..!