Manjula Pandey

Tragedy

4.0  

Manjula Pandey

Tragedy

अंधा कानून

अंधा कानून

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मैं बोलती रही.....

सत्य चीखता रहा

पर झूठ का लिखा पर्चा

सच् पर भारी हो गया.....

क्यूंकि झूठ आकाओं के सामने

सच् से पहले लिखी इबारत के

रूप में पहुंच झूठ की दौड़ में

बाजी मार ले गया..........।।


झूठ को पर्चे पर लिखने वाला

शख्स तो था गायब............

हुई एक तरफा सुनवाई........

सच् बोलने की सजा मैने ही पाई...

अजब कानून है इस जहां का....

जिसने झूठ पहिले लिख दिया...

वो सत्यवादी हरीशचंद्र हो गया...

हम सच्चे होने के भ्रम में चुपचाप रहे

वे झूठ के साक्ष्य बना सच्चे होने का

ढोल नगाड़े लिए ढोल पीटते रहे........

आया ना कोई सच् की गवाही देने......

वे झूठ के गवाह लिए हमें लूटते रहे....

अजब -गजब कानून है इस जहाँ का

झूठ का बोलबाला और सच् गूंगा है यहां का.....


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