कफन की खामोशी
कफन की खामोशी
जिंदगी की सारी चिंता हुई खत्म,
जिंदगी की बातें हो गयी चिता पर खत्म,
जिन रिश्तों को निभाने में,
सारा जीवन हो गया स्वाहा,
जिनके स्नेह सम्मान की,
मेरी इच्छा रही सदा प्रबल,
जिनके मान सम्मान में ,
मैंने सदा किया अपना सर्वस्व समर्पण,
जिंदगी की सुई मेरी ,
घूमती रही जिनके परिधि,
आज सब मेरे अस्तित्व को पहचान रहे,
मेरी निर्जीव काया को पूज रहे,
जब मैं अपने लिए बोलती,
जब मैं जीने के लिए संघर्ष करती,
जब मैं मुश्किल में भी खुशियाँ टटोलती,
तब मेरी आवाज सबको चुभ जाती,
आज कैसे मेरे कफन की खामोशी बर्दाश्त है....