बेघर यात्रा
बेघर यात्रा
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मुझे कभी किसी ने नहीं देखा
मैं अपनी निगरानी में रहता हूं
तकिया चादर के बीच दबा हूं
सुस्त पुतलियों पर दबाव बढ़ता है
तो ग्लेशियर पिघल जातें हैं , फिर
आंखो से निकलकर एक शव यात्रा
गालों में कहीं दफ्न होती है
शव यात्रा जरूरी है
शव यात्री अपनी अगली शव यात्रा तक ठीक रहता है
ठीक रहना एक चुनौती है
ठीक रहने के लिए
चमड़े का घर जरूरी है !
बेघर कभी यात्रा नही करते ।