मुझसे रूठना
मुझसे रूठना
मुझसे रूठ जाने का तेरा क्या हक बनता है
मुझसे दूर जाने का तेरा क्या हक बनता है
जानता हूं कोई हक नहीं तेरा हाल जो पूछूं
तू मुझसे हाल ए दिल छुपाए तेरा क्या हक बनता है
पल रहे अल्फाज मेरे तेरी रहनुमाई में
ना तन्हा कर मुझे इस तन्हाई में
मैंने कहा मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे तन्हा छोड़ जाने का तेरा क्या हक बनता है
मुझसे रूठ जाने का तेरा क्या हक बनता हैं
बड़ी तकलीफ देता है रोज का आना जाना तेरा
बता क्या यही है इश्क और दिल लगाना तेरा
माना दर्द से बड़ी पुरानी यारी है मेरी
पर दिल दुखाने का तेरा भी क्या हक बनता है
मुझसे दूर जाने का तेरा क्या हक बनता है
मेरा मामूली सा दिल तेरा दिल ऊंची इमारत है
समीर की आंखों में पानी चंद लफ्जों की इबारत है
दिल की बाते तेरे लिए जब कोई मायने नहीं रखती
बता फिर दिल लगाने का तेरा क्या हक बनता है