अमलतास का वृक्ष
अमलतास का वृक्ष
अमलतास का वो मनोहरी वृक्ष जो सुसज्जित है अंगने में मेरे,
शीतल करती उसकी छत्रछाया हर पल ह्रदय को सबके।
उसके पीले फूलों से आच्छादित हो जाती जब मेरी नन्हीँ सी बगिया,
उस मनमोहक पीताम्बरी छटा को निहारती रह जाती पूरी दुनिया।
झर झर झरने के समान गिरती बिखरती इन सोनचिरैयों को चुनकर अपनी डलिया में संजो लेती हूँ,
रमणीक जिन्होंने वातावरण कर दिया,उनके सौंदर्य का इस तरह कुछ और पलों के लिए लुत्फ़ उठा लेती हूँ।
क्षणभंगुर इस जीवन को जिन्होंने रंगों से भरकर और हसीन बना दिया,
अपने औषधीय गुणों से अमलतास के पुष्पों ने सबके जीवन को निरोग कर दिया।
पीले फूलों का गजरा सबका चित्त आनंदित कर जाता,
चिलचिलाती धूप में इन पीताम्बरी चादर की ओट में हर व्यथित ह्रदय को सुकून मिल जाता।
मुक़्क़म्मल ना हुई इच्छाओं के दर्द को पल में छूमंतर कर जाता,
कुछ ऐसे अद्भुत अंदाज़ में अमलतास का वृक्ष सभी को वशीभूत कर जाता।
एक-दो से हज़ारों पुष्पों की लड़ी में परिवर्तित होकर जब भर देते बाग़ बगीचा और वन,
अनवरत चलते और आगे बढ़ते जीवन चक्र की अद्भुत मिसाल छोड़ देते इसके सुनहरे सुमन।
जितना तपाता है कठोर सूरज, उतना खिलखिलाते और खुशियाँ बिखेरते ये पुष्प,
कुछ ऐसे अनोखे अंदाज़ में सूर्य देवता को चिढ़ाते ये पुष्प।
पीलिया, छाले, बुखार,जलन सबका निवारण कर देते ये स्वर्णपुष्प,
इनको उगाना और संजोना सबका उत्तरदायितत्त्व है वरना कहीँ यें ना हो जाएं लुप्त।।