अलविदा बीस
अलविदा बीस
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तुम बताओ बीस
क्या इक्कीस में भोर होगा
या तुम्हारे जैसे
ही फिर वर्ष घनघोर होगा।।
क्या फिर लोग
घरों में डरे- सहमे ही रहेंगे
या पाएँगे नभ खुद के
अब न कोई भय को सहेंगे।।
बताओ बीस मुझे
क्योंकर याद करे तुम्हें हम
कितनों को ग्रास बनाया
अनेक आँखें हैं अब भी नम।।
मैंने बताया आईना
जो मानव स्वयं में लीन थे।
मिलवाया मैंने उनको
सच से, जो औरों से भिन्न थे।।
परिस्थिति जो भी
हो, सिखाया मैंने है मुस्काना।।
चाहे कोई वर्ष आये
मेरा सफ़ल हुआ है सिखाना।।
मैंने अलविदा किया
बीस अब भी मुस्कुरा रहा।।
इक्कीस का दामन थामे
कुछ बेहतर मैं मना रहा।।