STORYMIRROR

Divyanjli Verma

Fantasy

4  

Divyanjli Verma

Fantasy

अलग अलग जिंदगियां

अलग अलग जिंदगियां

1 min
193

एक वैश्य भी उसी भगवान को पूजती है जिसे एक साधारण औरत ,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?

एक राजा भी उसी भगवान को पूजता है जिसे एक रंक,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?


एक अमीर भी उसी भगवान को पूजता है जिसे एक गरीब,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?

देने वाला भी उसी भगवान को पूजता है जिसे लेने वाला,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?


एक दुखी इंसान भी उसी भगवान को पूजता है

जिसे एक सुखी इंसान,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?

कफन बेचने वाला भी उसी भगवान को पूजता है

जिसे कफन खरीदने वाला,

फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy