अलग अलग जिंदगियां
अलग अलग जिंदगियां
एक वैश्य भी उसी भगवान को पूजती है जिसे एक साधारण औरत ,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
एक राजा भी उसी भगवान को पूजता है जिसे एक रंक,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
एक अमीर भी उसी भगवान को पूजता है जिसे एक गरीब,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
देने वाला भी उसी भगवान को पूजता है जिसे लेने वाला,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
एक दुखी इंसान भी उसी भगवान को पूजता है
जिसे एक सुखी इंसान,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
कफन बेचने वाला भी उसी भगवान को पूजता है
जिसे कफन खरीदने वाला,
फिर दोनों की जिंदगी इतनी अलग क्यो है ?
