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Sonam Kewat

Tragedy Action

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Sonam Kewat

Tragedy Action

अकेले रहना ही अच्छा हैं

अकेले रहना ही अच्छा हैं

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जब से मेरी आंखें खुली हैं मैंने

मां-बाप को झगड़ते हुए देखा है 

आधी रात में अगर नींद टूटी तो 

उनको सिर्फ लड़ते हुए देखा है 


सुना है कि रेल की पटरी जैसे है

पति-पत्नी जो साथ साथ चलते हैं 

पर मेरे मां बाप उस पटरी जैसे हैं

जो राहों में कभी नहीं मिलते हैं 


हम बच्चे अब बड़े हो चुके हैं 

लेकिन अब भी उनके बीच दूरी है 

साथ में रहते तो हैं पर लगता है 

उनका साथ रहना कोई मजबूरी है 


सब अक्सर यही कहते हैं कि

जहां झगड़ा है वही प्यार होता है

पर उनके बीच प्यार के नाम पर भी

सिर्फ और सिर्फ झगड़ा होता है 


एक वजह यह भी है कि 

प्यार से नफरत सी हो गई है 

झगड़ों का वजन उठाते उठाते 

जिंदगी कसरत से हो गई है


उनको देखकर लगता है कि 

शादी से अच्छा कुंवारे ही मर जाओ

झगड़ों में उलझकर रहने से अच्छा

सपनों को पूरा करके दिखाओ


प्यार नहीं करना किसी से और

कोई दिखावट नहीं चाहिए

अकेले रहना अच्छा लगता है 

इसमें कोई मिलावट नहीं चाहिए


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