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bhagawati vyas

Romance

4.7  

bhagawati vyas

Romance

अजनबी

अजनबी

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300


  गीत


दूरी कब महसूस हुई है,

पल पल साथ निभाया !

धड़कन में जो रचा बसा है,

वह साथी कहलाया !!


चला अजनबी, नई राह पर,

हाथ थाम कर आगे !

राह लगी स्वागत को आतुर,

हम ठहरे बड़भागे !

संस्कारी अनुबंधों ने है,

जीवन को महकाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है,

वह साथी कहलाया !!


आती जाती परछाई ज्यों,

सुख दुख ऐसे ठहरे !

विश्वासों का दिया धरातल,

जग बैठाए पहरे !

सहभागी पल पल का ठहरा,

जिसकी गहरी छाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है,

वह साथी कहलाया !!


सधे हुए लक्ष्यों को मिल जुल,

निर्णय से है साधा !

रखी सहमति विषय कोई हो,

कटी राह की बाधा !

इक दूजे के बिना अधूरे,

तब रिश्ता गहराया !!

धड़कन में जो रचा बसा है,

वह साथी कहलाया !!


आकर्षण नित बढ़ता जाता,

अतरंगी पल भाते !

क्या खोया है क्या पाया है,

कल का गणित लगाते !

जीवन साधे से सधता है,

मूल मंत्र अपनाया !!

धड़कन में जो रचा बसा है,

वह साथी कहलाया !!



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