अजनबी
अजनबी
तुम्हारे और हमारे बीच कुछ तो है ,
क्या है यह दिल ही जाने।
अजनबी से हो मगर लगते नहीं
उतने ही मेरे हो जितने की मेरी सांसे।
तुम आ जाओ तो धड़कन
और तेज हो जाती है।
तुम ना आओ तो तुम्हारी याद,
इस कदर सताती है,
सीने में बेचैनी सी उठती है बार-बार ।
क्या रहस्य है दिल समझ नहीं पाता ?
क्यों ना हो एक बार ऐसा भी !
कि तुम आओ और इस रहस्य की गुत्थी ,
को सुलझा जाओ!
नाम पता तो लिखवा जाओ एक अजनबी।
क्यों मेरा दिल तेरे नाम पर ,
धड़कता है सरेआम।
है यह राज क्या हमको नहीं मालूम।
मेरा ही दिल मैंने ही पाला इसे ,
मुद्दतों अपने पहलू में और
तुमने एक नजर देखा और
तुम्हारा हो गया कमबखत ।
मेरा दिल भी बेवफा है तुम्हारी ही तरह ,
है मेरा मगर मेरे सीने में ठहरता ही नहीं ।
है यह कैसा अनोखा रहस्य समझ ना पाई मैं।
समझना तुमसे ये हसीं राज़ अब आ भी जाओ,
तेरे ही इंतजार में तेरी ही याद में खुद को भुले हुए से हम।