Dr Mahima Singh

Romance

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Dr Mahima Singh

Romance

अजनबी

अजनबी

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तुम्हारे और हमारे बीच कुछ तो है ,

क्या है यह दिल ही जाने।

अजनबी से हो मगर लगते नहीं

उतने ही मेरे हो जितने की मेरी सांसे।

तुम आ जाओ तो धड़कन 

और तेज हो जाती है।

तुम ना आओ तो तुम्हारी याद,

इस कदर सताती है,

सीने में बेचैनी सी उठती है बार-बार ।

क्या रहस्य है दिल समझ नहीं पाता ?

क्यों ना हो एक बार ऐसा भी !

कि तुम आओ और इस रहस्य की गुत्थी ,

को सुलझा जाओ!

नाम पता तो लिखवा जाओ एक अजनबी।

क्यों मेरा दिल तेरे नाम पर ,

धड़कता है सरेआम।

है यह राज क्या हमको नहीं मालूम।

मेरा ही दिल मैंने ही पाला इसे ,

मुद्दतों अपने पहलू में और 

तुमने एक नजर देखा और

तुम्हारा हो गया कमबखत ।

मेरा दिल भी बेवफा है तुम्हारी ही तरह ,

है मेरा मगर मेरे सीने में ठहरता ही नहीं ।

है यह कैसा अनोखा रहस्य समझ ना पाई मैं।

समझना तुमसे ये हसीं राज़ अब आ भी जाओ,

तेरे ही इंतजार में तेरी ही याद में खुद को भुले हुए से हम।



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