अजनबी दोस्त
अजनबी दोस्त
गोवा से मुंबई जाना था
बस का सफ़र चुना मैंने
इसके बारे में खूब सुना
बुन रखे थे ढेर से सपने
एक अजनबी की सीट
मोटू की थी बगल वाली
खिड़की वाली मेरी थी
अपनी सीट जो थी खाली
बात करने में सुघड़ था वो
पता लगा डॉक्टर था एक
भला मानस था बेचारा
बातें फिर होने लगीं अनेक
दोनों ने मिल खाना खाया
अजनबी से बना दोस्त
कहने लगा बिहार आइये
मैं बनूँगा आपका होस्ट
सुबह सुबह पहुंचे मुंबई
नंबर, एड्रेस किया एक्सचेंज
अभी मेरी यात्रा बाकी थी
बस करनी थी मुझको चेंज
वक़्त निकला, ज़िन्दगी बढ़ी
पापा मेरे हुए बीमार
जाने उसकी ही आई याद
सुना तो दौड़ कर आया यार
बंदा वो न्यूरो सर्जन था
समझ लिया झट सारा केस
सब कुछ आसानी से हुआ
इलाज हो गया उनका विशेष
अजनबी से दोस्ती बस वाली
ज़िन्दगी में उसने भरे नए रंग
सबको मिलें ऐसे अजनबी
कहता हूँ मैं भरकर उमंग।