अजब खेल जिदंगी का
अजब खेल जिदंगी का
वाह रे जिदंगी...
दिल के टूटने पर भी हँसना,
शायद जिंदादिली इसी को कहते हैं,
ठोकर लगने पर भी मंजिल तक भटकना,
शायद तलाश इसी को कहते हैं,
किसी को चाहकर भी ना पाना,
शायद चाहत इसी को कहते हैं,
टूटे खंडहर में बिना तेल के दिया जलाना,
शायद उम्मीद और आस इसी को कहते हैं,
गिर जाने पर फिर से खड़ा हो जाना,
शायद हिम्मत और हौसला इसी को कहते हैं,
सफलता पाकर भी उदार बने रहना,
शायद संयम इसे ही कहते हैं,
पसीने से नहा कर भी कुछ हासिल न होना,
शायद किस्मत इसे ही कहते हैं,
और ये उम्मीद, हिम्मत, चाहत, तलाश,
संयम, किस्मत, हौसला,.....
शायद जिदंगी इसी को कहते हैं।।
