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अजब हाल दिल्लगी का है

अजब हाल दिल्लगी का है

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अजब हाल दिल्लगी का है

मेरे पास जो है, उसी का है।


मेरे ख्याल बहुत कीमती है

ये तोहफा, आशिकी का है।


जो मेरा ख़्वाब था न, यारो

हकीक़त और किसी का है।


ये सुर्ख होठ, ये नम आँखें

साया हम पे बेरूखी का है।


उसके बदलने लगे लहजे

खूब ये मंजर तबाही का है।


कोई उम्र भर का ज़ख्म दे

सवाल, तेरी निशानी का है।


मैं तेरी, हर खबर रखता हूँ

न बोल के बस मुझी का है।


वो आया आ के चला गया

यही किस्सा जिंदगी का है।।


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