दिसंबर में
दिसंबर में
कभी हुई थी प्यार की शुरुआत दिसंबर में
उमड़े थे जाने कितने जज़्बात दिसंबर में।
बैठे थे हम भी कभी करीब एक-दूसरे के
हुई थी हमारी पहली मुलाकात दिसंबर में।
न तू मजबूरियाँ गिना न मैं दर्द संभालूँ
अब खत्म कर ये सारी बिसात दिसंबर में।
जो भी दिल में हो कह डालो मुझको सब
अभी बची हुई है आखिरी रात दिसंबर में।
निगाहों को देखो बरस रही है, कैसे जानां
मुबारक हो तुमको यह बरसात दिसंबर में।
तुम और तुम्हारे नखरे सब पराये हो गये
रही न अब वो पहले वाली बात दिसंबर में।
तुझसे कई और भी दिखेंगे तुझको 'पंकज'
कईयों के हैं ऐसे बिगड़े हालात दिसंबर में।।

