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Ram Chandar Azad

Tragedy

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Ram Chandar Azad

Tragedy

ऐसा काव्य

ऐसा काव्य

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हे कवि, ऐसा काव्य सुनाओ।

जो श्रोता के अन्तःतल में,

देशप्रेम के भाव जगाए।

मानवता के पुष्प खिलाए।।


झाड़ और झंखाड़ उग रहे

जाति-धर्म के संरक्षण में।

नैतिकता का पतन हो रहा

आज समूचे जन गण मन में। 


नहीं कोई सुनने वाला अब

देशप्रेम की कथा- कहानी।

वही लेखनी सुनी जा रही

जिसमें हास्य विनोदी वाणी।।


भ्रष्टाचार बसा हुआ है,

छोटे बड़े सभी के मन में।

टूटी कलम सूखती स्याही

असमंजस है मेरे मन में।।


नेता रहे न अब वे नेता

जिनका मैं दे सकूँ मिसाल।

सत्ता के ये भूखे लोमड़,

चलते शकुनि जैसी चाल।।


क्या लिखूँ कुछ समझ न आए

देशप्रेम की अकह कहानी।

चाह लिया जनता ने जिस दिन 

बन जाएगी अमर कहानी।।



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