अहसनुल्लाह ख़ान 'बयाँ'

Romance

2  

अहसनुल्लाह ख़ान 'बयाँ'

Romance

ऐ यार मुझे

ऐ यार मुझे

1 min
155


ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे

तेरी आँखों ने किया आप सा बीमार मुझे।


दिल बुझा जाए है अग़्यार की शोरिश पे मेरा

सर्द करती है तेरी गर्मी-ए-बाज़ार मुझे।


अक़्ल ही मोजिब-ए-तकलीफ़ हुई है नादाँ

कर गई बे-ख़बरी आ के ख़बर-दार मुझे।


तख़्त और चित्र सलाती को मुबारक होवे

बस है कूचे में तेरे साया-ए-दीवार मुझे।


जूँ मिसाल उस की नुमूदार हुई तूँ ही 'बयाँ'

तपिश-ए-दिल ने किया ख़्वाब से बेदार मुझे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance