ऐ यार मुझे
ऐ यार मुझे
ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे
तेरी आँखों ने किया आप सा बीमार मुझे।
दिल बुझा जाए है अग़्यार की शोरिश पे मेरा
सर्द करती है तेरी गर्मी-ए-बाज़ार मुझे।
अक़्ल ही मोजिब-ए-तकलीफ़ हुई है नादाँ
कर गई बे-ख़बरी आ के ख़बर-दार मुझे।
तख़्त और चित्र सलाती को मुबारक होवे
बस है कूचे में तेरे साया-ए-दीवार मुझे।
जूँ मिसाल उस की नुमूदार हुई तूँ ही 'बयाँ'
तपिश-ए-दिल ने किया ख़्वाब से बेदार मुझे।