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तेग़ चढ़ उस की सान पर आई

तेग़ चढ़ उस की सान पर आई

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तेग़ चढ़ उस की सान पर आई

देखें किस किस की जान पर आई


हम भी हाज़िर हैं खींचिए शमशीर

तबा गर इम्तिहान पर आई


टुक शिकायत की अब इजाज़त हो

नहीं रुकती ज़बान पर आई


पूछिए हाल-ए-ज़ार ये न कभू

दिल-ए-ना-मेहर-बान पर आई


दिल हमारा कि घर ये तेरा था

क्यूँ शिकस्त इस मकान पर आई


कट गई दूदमान-ए-ताक की नाक

दुख़्त-ए-रज़ जब दुकान पर आई


टुक तो ज़ालिम सँभाल ख़ंजर-ए-कीं

कारद अब उस्तुख़्वान पर आई


आलम-ए-जाँ से तू नहीं आया

एक आफ़त जहान पर आई


ग़ैर के आगे दिल की बात ‘बयाँ’

आह मेरी ज़बान पर आई


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