ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
जिंदगी मुझे तुम
हर मोड़ पर कुछ सिखाती हो,
कभी गिराती हो
कभी उठाती हो
ऐ जिंदगी मुझे तुम
हर मोड़ पर कुछ सिखाती हो,
मैं समझा नही था तेरी फितरत को
कभी मेरा हाथ पकड़ तुम
इस दरिया रूपी दुनिया में
होसलो की कश्ती पर
खूब सेर कराती हो
पल में हसाती हो
पल में रुलाती हो
शुरू से अब तक साथ हो मेरे
फिर रहो में गिरा कर कर ही
क्यों चलाती हो
ऐ जिंदगी मुझे तुम
हर मोड़ पर कुछ सिखाती हो
तू ले मेरे इम्तेहान
मैं तेरे जितना बड़ा नही
मैं जानता हूँ तेरी माया को
तुम समय के साथ
उगती हो,भुनाती हो, तपाती हो
फिर जा कर सही मान्य में
एक आदर्श इंसान बनाती हो
ऐ जिंदगी मुझे तुम
हर मोड़ पर कुछ सिखाती हो..
