ऐ हवा बेखबर
ऐ हवा बेखबर
ऐ हवा बेखबर तू चली है कहां,
चल दिशा मे उसी दिलरूबा है जहां ।
पास जा कर के कह उससे मेरा बयां ,
है तेरीयाद मे मर रहा एक जवांं ।
तेरी अद्भुत अदा ने है जादू किया,
देखे बिन तुमको माने न मेरा हिया ।
भूख और प्यास अब तो है लगती नही,
नीद ना रात को चैन दिन को नही ।
मेरी प्रेमाग्नि लेकर के जा तू हवा,
उसके उर मे जला प्रेम का एक दिया ।
मेरी आहों से मेरा प्रकट भाव कर,
फिर भी माने न समझे जो वो बेखबर ।
मेरी आहो की आंधी तू बनकर हवा ,
लाके मेरे प्रणय का वो जलता दिया ।
भस्म जीवन को मेरे तू करिए यहां,
ऐ हवा बेखबर तू चली है कहां ।