ऐ गम मेरे
ऐ गम मेरे
हमने तो गमों में भी मुस्कराने की आदत डाल दी है,
यही तो एक आदत है जो हमने खुद में डाल दी है।
ग़म तो बारिश की बूंदों से मेरी जिंदगी में बरसते हैं,
गम की फुहारों बीच हमने भीगने की आदत डाल दी है।
कहता है गम हमसे तुमने मुझे दिल में बसा क्यों रखा है,
हम कहते हैं की तुम को अपना जीने की आदत डाल दी है।
सह रही है रुह मेरी तेरे अनगिनत सितम हर लम्हा,
कैसे तुझसे कहूं इस आशियाने में रहने की तूने आदत डाल दी है।
मुझे तो जिंदगी से बस सदा खुशियों की आस रही,
ऐ गम अब तो मैंने तेरी महफ़िल में रहने की आदत डाल दी है।
तूझे जो करना हो मेरी रूह के साथ तू कर पर थोड़ा बख्श दे,
दिल का कच्चा हूं ज़रा मैं पर तुम्हें हराने की आदत डाल दी है।
ऐ गम मेरे सुनो तुम दूर देश में सुन्दर परियों का डेरा है,
" राज " की दुनिया से करो पलायन
तुम बिन बसने की आदत डाल दी है।