ऐ धरा तेरे लिए
ऐ धरा तेरे लिए
हर सुबह जगता सदा मैं,
तुमसे मिलने की ख़्वाहिश लिए,
सूर्य हूँ मैं तप रहा हूँ,
ऐ धरा तेरे लिए,
तेरे लिए ही मैं भटकता,
इस दिशा से उस दिशा,
हां मिलेगी तो कभी ये,
सोच बस चलता रहा,
कितने युगों से जल रहा हूँ,
प्यास तेरी ही लिए,
आ भी जा ऐ मेदिनी,
थम जा कि एक पल के लिए,
और मैं तुझको निहारूं,
मेरी प्यास ये भुझ जाएगी,
और तपिश ये कई युगों की,
पल भर में ही मिट जाएगी।