दुःख सुख तो मनुष्य जीवन
दुःख सुख तो मनुष्य जीवन
हे राम
तूने क्या क्या सहे?
राजकुमार होकर
तू बने वनवासी राम
रक्षा के लिए पितृ प्रतिज्ञा
छोड़े राज्य सुख
चौदह वर्ष
पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण संग
जंगल में रहे
कुटीर बनाकर
जमीन में सोये
शिक्षा दिये इस मनुष्य को
दुःख में
विचलित ना होना !!
सुख दुःख तो है
मनुष्य जीवन
आयेगा जायेगा
चिन्तित क्यों तू मनुष्य?
दुःख में धैर्य धर
गर्वित न हो सुख में
तभी तो सार्थक
अमूल्य जीवन
विचलित ना हो कर्तव्य पथ में !!
घटना तो घटती है
दुःख तो होता
पर दुःख से
बैठना नहीं
चेष्टा करना
समाधान के लिए कोशिश करना
जैसे किये
प्रभु श्री राम
चौदह वर्ष वनवास में !!
सीता को चोरी कर ले गया
लंकेश है रावण अति दुराचारी
था विश्व विजेता
पर था अत्याचारी
किये प्रतिज्ञा
कौशल्या नन्दन
मारेंगे रावण
कौन रक्षा करेगा
किये टंकार
धनुर्वाण !!
त्यागे शौक विलाप
मन मस्तिष्क से
कर्तव्य पथ पर
चल पड़े
मिले हनुमान से
सुग्रीव साथ मित्रता किये
बनाये वानर सेना
सेतुबंध बांधे
स्वर्ण लंका में गुंजा
जय श्री राम जय श्री राम !!
मारे रावण, पत्नी उधार किये
रावण भाई
विभीषण को
दिये
स्वर्ण लंका
राजपाट
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम !!
शिक्षा दिये कर्तव्य
इस मानव को
कर्म है सर्वश्रेष्ठ
कर्मयोगी हो
पा सकते तू
विजय हर क्षेत्र में
धैर्य पराक्रम
कर्म धर्म ज्ञान से !!